Ekadashi Kab Hai : हिंदू धर्म में एकादशी व्रत प्रत्येक महीने में दो बार आता है। एकादशी व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है, एक वर्ष में कुल 24 एकादशी व्रत रखे जाते हैं एकादशी व्रत भगवान विष्णु जी को समर्पित है और इस दिन भगवान विष्णु जी की पूरे विधि विधान के साथ पूजा की जाती है। एकादशी व्रत के प्रभाव से आप अपने जीवन के सभी दुख तकलीफ कष्टो से मुक्ति पा सकते हैं। एकादशी व्रत रखने से मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और साथ में मानसिक शांति मोक्ष की प्राप्ति होती है।
एकादशी व्रत के बारे में शास्त्रों में बताया गया है की एकादशी व्रत का पालन करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। अगर कोई व्यक्ति सच्चे भक्ति भाव के साथ और पूरे श्रद्धा के साथ एकादशी व्रत रखता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उसके सर पर हरदम भगवान विष्णु जी की कृपा बनी रहती है। एकादशी व्रत रखने से दुख तकलीफ कष्ट आर्थिक तंगी व्यापार में नुकसान जैसी समस्याएं समाप्त होती हैं।

एकादशी कब है ? ( Ekadashi Kab Hai )
हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन मोक्षदा एकादशी व्रत रखा जाएगा। इस बार मार्गशीर्ष महीने की एकादशी तिथि की शुरुआत 30 नवंबर 2025 रात्रि को 9:29 पर शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन 1 दिसंबर को रात्रि 7:01 पर होगा। उदया तिथि के हिसाब से मोक्षदा एकादशी का व्रत 1 दिसंबर 2025 को रखा जाएगा।
मोक्षदा एकादशी व्रत ( Mokshada Ekadashi 2025 )
- पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:11 से लेकर 6:05 तक
- पूजा के लिए विजय मुहूर्त दोपहर 1:57 से लेकर 2:39 तक
- पूजा का गोधूलि मुहूर्त शाम 5:23 से लेकर 5:50 तक
- पूजका निशिताकाल मुहूर्त रात्रि 11:46 से लेकर 12:40 तक
एकादशी व्रत 2025 लिस्ट
| तारीख | एकादशी नाम | पक्ष | हिन्दू महीना | प्रारंभ | समाप्त |
| 10 जनवरी 2025 ( शुक्रवार ) | पौष पुत्रदा एकादशी | शुक्ल पक्ष | पौष | 12:22 पी एम, जनवरी 09 | 10:19 ए एम, जनवरी 10 |
| 25 जनवरी 2025 ( शनिवार ) | षटतिला एकादशी | कृष्ण पक्ष | माघ | 07:25 पी एम, जनवरी 24 | 08:31 पी एम, जनवरी 25 |
| 8 फरवरी 2025 ( शनिवार ) | जया एकादशी | शुक्ल पक्ष | माघ | 09:26 पी एम, फरवरी 07 | 08:15 पी एम, फरवरी 08 |
| 24 फरवरी 2025 ( सोमवार ) | विजया एकादशी | कृष्ण पक्ष | फाल्गुन | 01:55 पी एम, फरवरी 23 | 01:44 पी एम, फरवरी 24 |
| 10 मार्च 2025 ( सोमवार ) | आमलकी एकादशी | शुक्ल पक्ष | फाल्गुन | 07:45 ए एम, मार्च 09 | 07:44 ए एम, मार्च 10 |
| 25 मार्च 2025 ( मंगलवार ) | पापमोचिनी एकादशी | कृष्ण पक्ष | चैत्र | 05:05 ए एम, मार्च 25 | 03:45 ए एम, मार्च 26 |
| 8 अप्रैल 2025 ( मंगलवार ) | कामदा एकादशी | कृष्ण पक्ष | चैत्र | 08:00 पी एम, अप्रैल 07 | 09:12 पी एम, अप्रैल 08 |
| 24 अप्रैल 2025 ( बृहस्पतिवार ) | वरूथिनी एकादशी | शुक्ल पक्ष | वैशाख | 04:43 पी एम, अप्रैल 23 | 02:32 पी एम, अप्रैल 24 |
| 8 मई 2025 ( बृहस्पतिवार ) | मोहिनी एकादशी | शुक्ल | वैशाख | 10:19 ए एम, मई 07 | 12:29 पी एम, मई 08 |
| 23 मई 2025 ( शुक्रवार ) | अपरा एकादशी | कृष्ण | ज्येष्ठ | 01:12 ए एम, मई 23 | 10:29 पी एम, मई 23 |
| 06 जून 2025 ( शुक्रवार ) | निर्जला एकादशी | शुक्ल | ज्येष्ठ | 02:15 ए एम, जून 06 | 04:47 ए एम, जून 07 |
| 21 जून 2025 ( शनिवार ) | योगिनी एकादशी | शुक्ल | आषाढ़ | 07:18 ए एम, जून 21 | 04:27 ए एम, जून 22 |
| 6 जुलाई 2025 ( रविवार ) | देवशयनी एकादशी | कृष्ण | आषाढ़ | 06:58 पी एम, जुलाई 05 | 09:14 पी एम, जुलाई 06 |
| 21 जुलाई 2025 ( सोमवार ) | कामिका एकादशी | कृष्ण | श्रावण | 12:12 पी एम, जुलाई 20 | 09:38 ए एम, जुलाई 21 |
| 05 अगस्त 2025 ( मंगलवार ) | श्रावण पुत्रदा एकादशी | शुक्ल | श्रावण | 11:41 ए एम, अगस्त 04 | 01:12 पी एम, अगस्त 05 |
| 19 अगस्त 2025 ( मंगलवार ) | अजा एकादशी | कृष्ण | भाद्रपद | 05:22 पी एम, अगस्त 18 | 03:32 पी एम, अगस्त 19 |
| 03 सितंबर 2025 ( बुधवार ) | परिवर्तिनी एकादशी | शुक्ल | भाद्रपद | 03:53 ए एम, सितम्बर 03 | 04:21 ए एम, सितम्बर 04 |
| 17 सितम्बर 2025 ( बुधवार ) | इन्दिरा एकादशी | कृष्ण | आश्विन | 12:21 ए एम, सितम्बर 17 | 11:39 पी एम, सितम्बर 17 |
| 3 अक्टूबर 2025 ( शुक्रवार ) | पापांकुशा एकादशी | शुक्ल | आश्विन | 07:10 पी एम, अक्टूबर 02 | 06:32 पी एम, अक्टूबर 03 |
| 17 अक्टूबर 2025 ( शुक्रवार ) | रमा एकादशी | कृष्ण | कार्तिक | 10:35 ए एम, अक्टूबर 16 | 11:12 ए एम, अक्टूबर 17 |
| 1 नवम्बर 2025 ( शनिवार ) | देवुत्थान एकादशी | शुक्ल | कार्तिक | 09:11 ए एम, नवम्बर 01 | 07:31 ए एम, नवम्बर 02 |
| 2 नवम्बर 2025 ( रविवार ) | गौण देवुत्थान एकादशी वैष्णव देवुत्थान एकादशी | शुक्ल | कार्तिक | 09:11 ए एम, नवम्बर 01 | 07:31 ए एम, नवम्बर 02 |
| 1 5 नवम्बर 2025 ( शनिवार ) | उत्पन्ना एकादशी | कृष्ण | मार्गशीर्ष | 12:49 ए एम, नवम्बर 15 | 02:37 ए एम, नवम्बर 16 |
| 1 दिसम्बर 2025 ( सोमवार ) | मोक्षदा एकादशी गुरुवायुर एकादशी | शुक्ल | मार्गशीर्ष | 09:29 पी एम, नवम्बर 30 | 07:01 पी एम, दिसम्बर 01 |
| 15 दिसम्बर 2025 ( सोमवार ) | सफला एकादशी | कृष्ण | पौष | 06:49 पी एम, दिसम्बर 14 | 09:19 पी एम, दिसम्बर 15 |
| 30 दिसम्बर 2025 ( मंगलवार ) | पौष पुत्रदा एकादशी | शुक्ल | पौष | 07:50 ए एम, दिसम्बर 30 | 05:00 ए एम, दिसम्बर 31 |
| 31 दिसम्बर 2025 ( बुधवार ) | गौण पौष पुत्रदा एकादशी, वैष्णव पौष पुत्रदा एकादशी, वैकुण्ठ एकादशी | शुक्ल | पौष | 07:50 ए एम, दिसम्बर 30 | 05:00 ए एम, दिसम्बर 31 |
कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की एकादशियाँ
साल भर में आने वाली 24 एकादशियों के नाम दिए गए हैं ( हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने दो एकादशी होती हैं — एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में ) –
कृष्ण पक्ष की एकादशियाँ
सफला एकादशी – वर्ष का आरंभिक व्रत, इसे करने से जीवन में सफलता मिलती है।
षटतिला एकादशी – तिल का विशेष महत्व, इसे करने से पितृदोष और गरीबी दूर होती है।
विजया एकादशी – विजय प्राप्ति और भय नाश के लिए।
आमलकी एकादशी – आंवले के पूजन का महत्व, पाप नाशक।
पापमोचनी एकादशी – पाप और दोषों का नाश।
वरुथिनी एकादशी – सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं।
अपरा एकादशी – पाप क्षय और पुण्य में वृद्धि।
योगिनी एकादशी – रोग निवारण और स्वास्थ्य लाभ।
कामिका एकादशी – पितरों की शांति और परिवार में सुख।
अजा एकादशी – जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति।
इंदिरा एकादशी – पितृ तर्पण और मोक्षदायिनी।
रमा एकादशी – धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति।
शुक्ल पक्ष की एकादशियाँ
पुत्रदा एकादशी – संतान प्राप्ति और परिवारिक सुख के लिए।
जया एकादशी – शत्रु नाश और विजय प्राप्ति।
आमलकी एकादशी – आयु, बल और स्वास्थ्य में वृद्धि।
पद्मा/निर्जला एकादशी – सबसे कठिन व्रत, सभी व्रतों का फल देती है।
देवशयनी एकादशी – चतुर्मास की शुरुआत, भगवान विष्णु योगनिद्रा में जाते हैं।
पुत्रदा (श्रावण) – संतान सुख और परिवार की उन्नति के लिए।
परिवर्तिनी एकादशी – विष्णु भगवान की स्थिति परिवर्तन, चतुर्मास का मध्य।
पापांकुशा एकादशी – पापों का नाश और धर्म मार्ग की प्राप्ति।
प्रबोधिनी एकादशी – चतुर्मास का अंत, विवाह और मांगलिक कार्य आरंभ।
उत्पन्ना एकादशी – व्रत की शुरुआत का प्रतीक, उपासना से सभी कष्ट दूर।
मोक्षदा एकादशी – गीता जयंती का दिन, मोक्ष प्राप्ति का मार्ग।
पुत्रदा (पौष) – परिवार में संतान सुख और संतोष।
एकादशी व्रत महत्व
धार्मिक शास्त्रों और पुराणों के अनुसार एकादशी को हरि दिन कहा जाता है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भोजन नहीं करने पर भी भूख का एहसास कम होता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार एकादशी व्रत भगवान विष्णु जी को समर्पित है और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा करने से और व्रत रखने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
धार्मिक कथाओं के अनुसार महाभारत के समय भीष्म पितामह ने एकादशी व्रत करके अपनी मृत्यु का समय खुद चुना था। एकादशी व्रत करने से आध्यात्मिक के साथ-साथ सांसारिक दृष्टि से भी अच्छा माना जाता है और मान्यता है कि एकादशी व्रत के प्रभाव से जीवन में सुख समृद्धि आती है और हरदम भगवान विष्णु जी की कृपा आप पर बनी रहती है।
एकादशी व्रत के नियम
एकादशी व्रत रखने वाले सभी भक्तों को एकादशी व्रत के नियम पालन करना बहुत ही जरूरी है तभी आपका व्रत संपूर्ण पूरा माना जाता है –
- एकादशी व्रत के एक दिन पहले और एकादशी व्रत के 1 दिन बाद तक किसी भी रसोई में जहां मांस बनता हो वहां का भोजन ग्रहण न करें।
- एकादशी व्रत के दिन भूलकर किसी भी वृक्ष की पट्टी नहीं टूटनी चाहिए, अगर ऐसा होता है तो आपका व्रत खंडित हो जाता है।
- एकादशी के दिन आपको प्रातः काल भूल कर ब्रश मंजन नहीं करना चाहिए बल्कि इसके बदले में आप नींबू जामुन आम के पत्ते या फिर नीम की लकड़ी से दातुन करना चाहिए।
- एकादशी व्रत के दिन घर में झाड़ू नहीं लगना चाहिए, क्योंकि झाड़ू लगाने से चिट्ठी आज जैसे सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है।
- एकादशी व्रत के दौरान बाल नहीं कटवाना चाहिए और इस दिन किसी भी व्यक्ति को अशब्द ना बोले।
- एकादशी व्रत के दिन आपको केवल फलाहार का ही सेवन करना चाहिए, आपको केवल एक समय ही फलाहार का सेवन करना चाहिए। आपको शाम की पूजा के बाद अर्ध्य देने के बाद ही फलाहार का सेवन करना है।
- एकादशी व्रत के दौरान फल, ड्राई फ्रूट, दूध, दही, लस्सी, मक्खन, पनीर, घी, मखाना, साबूदाना, मूंगफली ले सकते है।
- एकादशी व्रत में इमरजेंसी मेडिसिन का सेवन कर सकते हैं।
- एकादशी के दिन रात्रि को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
एकादशी व्रत लाभ
- मात्र केवल एकादशी व्रत करने पर जो पूर्व जन्म में या फिर इस जन्म में जो भी पाप किए हैं, किसी का अपमान किया है या किसी को अपशब्द कहा है, या फिर जाने अनजाने कोई पाप होता है तो एक एकादशी व्रत करने से सभी पाप और दोष दूर हो जाते हैं।
- एकादशी व्रत करने से आपके ऊपर सदैव श्री हरि विष्णु जी की कृपा हरदम बनी रहती है।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अगर कोई व्यक्ति 1 वर्ष एकादशी व्रत का संकल्प लेता है तो उसके 7 जन्म सभी पाप समाप्त हो जाते हैं, अगर कोई 11 वर्ष एकादशी व्रत का संकल्प लेता है तो उसके सभी जन्मो जन्मो के पाप समाप्त हो जाते हैं।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी व्रत के अलावा कोई व्रत नहीं है जो आपको अधिक पुण्य दे सके।
- अगर कोई व्यक्ति सच्चे भक्ति भाव और पूरी श्रद्धा के साथ एकादशी व्रत रखता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
एकादशी व्रत पूजा विधि ( Ekadashi Vrat Puja Vidhi )
- एकादशी व्रत के दिन आप सुबह प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ पीले कपड़े धारण करें।
- अब आपको पूजा स्थल की साफ सफाई करके गंगाजल का छिड़काव करना है इसके बाद आप पूजा स्थल में चौकी रखें और उसे पर पीले रंग का वस्त्र बिछा दें।
- अब आप पीले फूल नीचे बेचकर उसे पर भगवान विष्णु जी की प्रतिमा स्थापित करें।
- अब आपको धूप बत्ती जलानी है और एक घी का दीपक जलाना है।
- अब आपको अपने हाथ में फूल लेकर व्रत का संकल्प लेना है और हम भगवान विष्णु जी से प्रार्थना करेंगे की है विष्णु जी हम आपके व्रत का संकल्प ले रहे हैं आप हमारे व्रत को पूरा करें।
- अब आपको एक लोटा में जल लेना है और एक फूल से जल को लेकर भगवान विष्णु जी के प्रतिमा पर जल छिड़काव करना है।
- अब आपको भगवान विष्णु जी की प्रतिमा में कलेवा चढ़ाना है और इसके बाद आप पीले चंदन से तिलक करना है।
- अब आप सफेद तिल भगवान विष्णु जी को अर्पित करें।
- अब आप भगवान विष्णु जी को पीले फूल अर्पित करें।
- अब आपको तुलसी दल अर्पित करना है इसके बाद आप भगवान विष्णु जी को प्रसाद के रूप में मिठाई या दूसरा मीठा भोग मे तुलसी दल रखकर अर्पित करें।
- इसके बाद आप भगवान विष्णु जी को पीले फल जैसे की केला अर्पित करें।
- अब आप हाथ में सफेद तिल और फूल रखकर इसके बाद आप एकादशी व्रत कथा सुने।
- हर एकादशी व्रत की अलग-अलग कथा होती है, इसलिए आप जो एकादशी व्रत रख रहे हैं आप उसी व्रत की कथा सुने।
- अब आप भगवान विष्णु जी की आरती करें।
- अब आप जो दक्षिण भेंट करना चाहते हैं वह दक्षिण निकालकर चौकी पर अर्पित करें।
- अब आपके हाथ जोड़कर क्षमा याचना करनी है।
- अब आप जो भी प्रसाद अर्पित किए हैं उसे प्रसाद को आप घर परिवार और दूसरे लोगों को बांट दें।
- एकादशी व्रत के दिन आपको शाम मीटिंग भी भगवान विष्णु जी की पूजा करनी होती है आप आरती जलाकर और जो भोग बनाए हैं उसे भोग को अर्पित करके पूजा करें।
नोट : एकादशी व्रत करने से पहले आप भगवान गणेश जी की पूजा जरूर करें और भगवान गणेश जी की आरती करने के बाद ही एकादशी व्रत पूजा शुरू करें।
एकादशी उद्यापन की सरल विधि
- एकादशी व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है।
- एकादशी व्रत का पारण शुभ मुहूर्त पर करना सबसे अच्छा माना जाता है।
- व्रत पारण से पहले आप भगवान विष्णु जी की पूजा करें और भगवान विष्णु जी को दीपक जलाकर तुलसी पीले फूल अर्पित करें।
- आप ब्राह्मण या जरूरतमंद लोगों को अन्न वस्त्र या दक्षिणा दान करें।
- अब आप सात्विक भोजन करके अपना व्रत पारण कर सकते हैं।
एकादशी व्रत पूजा सामग्री
- फूल माला, फूल-गुलाब की पँखुड़ियाँ, दूब, आम के पत्ते
- कुशा, तुलसी, रोली, मौली, धूपबत्ती, केसर, कपूर
- सिन्दूर, चन्दन, प्रसाद में पेड़ा, बताशा, ऋतुफल, केला
- पान, सुपारी, रूई, गंगाजल, अग्निहोत्र भस्म, गोमूत्र
- अबीर (गुलाल), अक्षत, अभ्रक, गुलाब जल, धान का लावा
- इत्र, शीशा, इलायची, पञ्चमेवा, हल्दी
- पीली सरसों, मेहँदी, नारियल, गोला, पञ्चपल्लव, बन्दनवार
- कच्चा सूत, मूँग की दाल, उड़द काले, बिल्वपत्र
- पञ्चरत्न, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, पञ्चरँग एवं सर्वतोभद्र के लिए लाल-सफेद वस्त्र
- नवग्रह हेतु चौकी, घण्टा, शङ्ख, कलश, गंगासागर, कटोरी, थाली, बाल्टी
- कड़छी, प्रधान प्रतिमा, पञ्चपात्र, आचमनी, अर्घा, तष्टा
- सुवर्ण शलाका, सिंहासन, छत्र, चँवर, अक्षत, जौ, घी, दियासलाई आदि।
एकादशी आरती ( Ekadashi Aarti )

॥ एकादशी माता की आरती ॥
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी,जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर,शक्ति मुक्ति पाता॥ॐ जय एकादशी…॥
तेरे नाम गिनाऊं देवी,भक्ति प्रदान करनी।
गण गौरव की देनी माता,शास्त्रों में वरनी॥ॐ जय एकादशी…॥
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना,विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा,मुक्तिदाता बन आई॥ॐ जय एकादशी…॥
पौष के कृष्णपक्ष की,सफला नामक है।
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा,आनन्द अधिक रहै॥ॐ जय एकादशी…॥
नाम षटतिला माघ मास में,कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै,विजय सदा पावै॥ॐ जय एकादशी…॥
विजया फागुन कृष्णपक्ष मेंशुक्ला आमलकी।
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में,चैत्र महाबलि की॥ॐ जय एकादशी…॥
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा,धन देने वाली।
नाम वरूथिनी कृष्णपक्ष में,वैसाख माह वाली॥ॐ जय एकादशी…॥
शुक्ल पक्ष में होयमोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी।
नाम निर्जला सब सुख करनी,शुक्लपक्ष रखी॥ॐ जय एकादशी…॥
योगिनी नाम आषाढ में जानों,कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो,शुक्लपक्ष धरनी॥ॐ जय एकादशी…॥
कामिका श्रावण मास में आवै,कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होयपवित्रा आनन्द से रहिए॥ॐ जय एकादशी…॥
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की,परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में,व्रत से भवसागर निकला॥ॐ जय एकादशी…॥
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में,आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै,सुखदायक भारी॥ॐ जय एकादशी…॥
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की,दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूंविनती पार करो नैया॥ॐ जय एकादशी…॥
परमा कृष्णपक्ष में होती,जन मंगल करनी।
शुक्ल मास में होयपद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥ॐ जय एकादशी…॥
जो कोई आरती एकादशी की,भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा,निश्चय वह पावै॥ॐ जय एकादशी…॥
॥ Ekadashi Mata Ki Aarti ॥
Om Jaya Ekadashi, Jaya Ekadashi,Jaya Ekadashi Mata।
Vishnu Puja Vrata Ko Dharana Kara,Shakti Mukti Pata॥Om Jaya Ekadashi…॥
Tere Nama Ginaun Devi,Bhakti Pradana Karani।
Gana Gaurava Ki Deni Mata,Shastron Mein Varani॥Om Jaya Ekadashi…॥
Margashirsha Ke Krishnapaksha Ki Utpanna,Vishvatarani Janmi।
Shukla Paksha Mein Hui Mokshada,Muktidata Bana Ai॥Om Jaya Ekadashi…॥
Pausha Ke Krishnapaksha Ki,Saphala Namaka Hai।
Shuklapaksha Mein Hoya Putrada,Ananda Adhika Rahai॥Om Jaya Ekadashi…॥
Nama Shatatila Magha Masa Mein,Krishnapaksha Avai।
Shuklapaksha Mein Jaya, Kahavai,Vijaya Sada Pavai॥Om Jaya Ekadashi…॥
Vijaya Phalguna Krishnapaksha MeinShukla Amalaki।
Papamochani Krishna Paksha Mein,Chaitra Mahabali Ki॥Om Jaya Ekadashi…॥
Chaitra Shukla Mein Nama Kamada,Dhana Dene Vali।
Nama Varuthini Krishnapaksha Mein,Vaisakha Maha Vali॥Om Jaya Ekadashi…॥
Shukla Paksha Mein HoyaMohini Apara Jyeshtha Krishnapakshi।
Nama Nirjala Saba Sukha Karani,Shuklapaksha Rakhi॥Om Jaya Ekadashi…॥
Yogini Nama Ashadha Mein Janon,Krishnapaksha Karani।
Devashayani Nama Kahayo,Shuklapaksha Dharani॥Om Jaya Ekadashi…॥
Kamika Shravana Masa Mein Avai,Krishnapaksha Kahie।
Shravana Shukla HoyaPavitra Ananda Se Rahie॥Om Jaya Ekadashi…॥
Aja Bhadrapada Krishnapaksha Ki,Parivartini Shukla।
Indra Ashchina Krishnapaksha Mein,Vrata Se Bhavasagara Nikala॥Om Jaya Ekadashi…॥
Papankusha Hai Shukla Paksha Mein,Apa Haranahari।
Rama Masa Kartika Mein Avai,Sukhadayaka Bhari॥Om Jaya Ekadashi…॥
Devotthani Shuklapaksha Ki,Dukhanashaka Maiya।
Pavana Masa Mein KarunVinati Para Karo Naiya॥Om Jaya Ekadashi…॥
Parama Krishnapaksha Mein Hoti,Jana Mangala Karani।
Shukla Masa Mein HoyaPadmini Dukha Daridra Harani॥Om Jaya Ekadashi…॥
Jo Koi Aarti Ekadashi Ki,Bhakti Sahita Gavai।
Jana Guradita Svarga Ka Vasa,Nishchaya Vaha Pavai॥Om Jaya Ekadashi…॥
एकादशी व्रत खंडित होने पर क्या करें ?
अगर किसी भूल बस या कारणवश या अनजाने में एकादशी व्रत खंडित हो जाता है तो आपको घबराने की आवश्यकता नहीं है। एकादशी व्रत खंडित हो जाने पर आप नीचे बताए गए उपाय को फॉलो करें –
- आप सबसे पहले भगवान विष्णु श्री हरि के समक्ष जाकर अपने भूल के लिए क्षमा याचना करें और ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का कम से कम 11 माला जाप करना है।
- अब आप अपने समर्थ के अनुसार किसी गरीब ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को धन अन्न वस्त्र का दान करें या आप भगवान विष्णु मंदिर जाकर पुजारी जी को फल चने की दाल हल्दी केसर का दान करे।
- अब आप भगवान विष्णु श्री हरि के समस्त हाथ जोड़कर संकल्प लें कि आप अगला एकादशी व्रत पूरी श्रद्धा नियम और विधि विधान से पूरा करेंगे।
- व्रत खंडित हो जाने के बावजूद आपके पूरे दिन व्रत के नियम का पालन करना है और शाम के व्यक्ति भगवान श्री हरि की पूजा अर्चना करना है और व्रत कथा सुननी है।
एकादशी व्रत पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल ( FAQ )
प्रश्न – एक माह में कितनी एकादशी होती है?
उत्तर – एक महीने में दो एकादशी होती है एक एकादशी शुक्ल पक्ष में और दूसरी एकादशी कृष्ण पक्ष में मनाई जाती हैं।
प्रश्न – एकादशी व्रत का महत्व क्या है?
उत्तर – एकादशी व्रत रखने से भगवान श्री हरि विष्णु जी की कृपा से सभी पाप से मुक्ति मिलती है और मोक्ष प्राप्ति होती है।
प्रश्न – एकादशी व्रत में क्या खाना चाहिए?
उत्तर – एकादशी व्रत में केवल फलाहार का सेवन करना चाहिए, जिसमें आप किला से मूंगफली सिंघाड़े का आटा साबूदाना दूध का सेवन कर सकते हैं।
प्रश्न – एकादशी व्रत कब शुरू और कब समाप्त होता है ?
उत्तर – एकादशी व्रत दशमी की रात्रि से शुरू होकर द्वादशी तिथि के सूर्योदय पर समाप्त होता है।
प्रश्न – एकादशी व्रत पारण कब किया जाता है ?
उत्तर – एकादशी व्रत पारण दूसरे दिन द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद किया जाता है।
प्रश्न – एकादशी व्रत में क्या दान करना चाहिए?
उत्तर – एकादशी व्रत में आप जरूरतमंद या ब्राह्मण को अनाज पानी, भोजन, घी, कपड़े और धन का दान करना चाहिए।
प्रश्न – एकादशी का व्रत क्यों करना चाहिए ?
उत्तर – – एकादशी व्रत करने से भगवान विष्णु जी की कृपा हरदम बनी रहती है और उनकी कृपा से जीवन के सभी दुख तकलीफ कष्ट दूर होते हैं।
प्रश्न – एकादशी का व्रत कितने घंटे का होता है ?
उत्तर – एकादशी का व्रत आमतौर पर 24 घंटे का होता है, कभी-कभी एकादशी व्रत 36 घंटे तक होता है।
प्रश्न – एकादशी का व्रत कौन नहीं रख सकता है ?
उत्तर – अगर कोई व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार है शारीरिक रूप से कमजोर है या फिर कोई महिला गर्भवती है तो एकादशी का व्रत नहीं रखना चाहिए।